राहत इंदौरी साहब का वास्तविक नाम राहत कुरैशी था. Rahat Indori Famous Shayari इनका जन्म 1 जनवरी 1950 को मध्यप्रदेश के इंदौर में हुआ था. उनके पिता का नाम रफ्तुल्लाह कुरैशी और माता जी का नाम मकबूल उन मिसा वेगम था.
स्कूली शिक्षा उन्होंने इंदौर के नूतन स्कूल से पूरी की और 1973 में अपना स्नातक इस्लामिया करीमिया कालेज से पूरा किया. उसके बाद बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में MA किया और गोल्ड मेडलिस्ट रहे. 11 अगस्त 2020 को उनका निधन हो गया. आज राहत इंदौरी साहब हमारे बिच नहीं रहे उनका उर्दू साहित्य में योगदान के लिए वह हमेशा याद किए जायेंगे.
अब आइए कुछ Rahat Indori Famous Shayari को पढ़ते हैं. हम्मे उम्मीद हैं की यह सभी Rahat Indori Shayari in Hindi में पसंद आयगी. इस Rahat Indori Shayri को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें
Rahat Indori Famous Shayari

आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी
रखो राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो||
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं||
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे Copy Tweet मैं आख़िर कौन सा
मौसम तुम्हारे नाम कर देता यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
Tweet Rahat indori shayari in urdu
ङा राहत इंदौरी शायरी इन उर्दू इस प्रकार है :
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Rahat Indori Shayari

हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं||
बुलाती है मगर जाने का नईं
ये दुनिया है इधर जाने का नईं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नईं
Bulati hai magar jaane ka nai
Ye duniya hai idhar jaane ka nai
Mere bete kisi se ishq kar
Magar had se gujar jaane ka nai
राह में ख़तरे भी हैं लेकिन ठहरता कौन है
मौत कल आती है आज आ जाए डरता कौन है
तेरे लश्कर के मुक़ाबिल मैं अकेला हूँ मगर
फ़ैसला मैदान में होगा कि मरता कौन है
Raah me khatre bhi hain lekin thahrta kaun hai
Maut kal aati hai aaj aa jaaye darta kaun hai
Tere lashkar ke mukaabil mai akela hu magar
Faisla maidaan me hoga ki marta kaun hai
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिले
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो
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Rahat Indori ki Shayari

Aankhon mein paani rakho, hothon pe chingaari rakho
Jinda rahna hai to tarkibe bahut saari rakho
Raha ke patthar se badh ke kuch nahi hain
manjilen
Raaste aawaz dete hain safar jaari rakho
तेरे वादे की तेरे प्यार की मोहताज नहीं
ये कहानी किसी किरदार की मोहताज नहीं
लोग होठों पे सजाये हुए फिरते हैं मुझे
मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं
Tere waade tere pyar ki mohtaaj nahin
Ye kahani kisi kirdaar ki mohtaaj nahin
Log hinton pe sazaaye hue firte hai mujhe
Meri shoharat kis akhbaar ki mohtaaz nahin
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं
होता ये वो घर है जिसका दरवाजा नहीं होता…!!
तुम्हारी दुनिया में हमारी चाहे कोई किमत ना हो मगर
हमने हमारी दुनिया में तुम्हे रानी का दर्जा दे रखा है…!!
Rahat Indori ki Shayari

अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ, ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब कुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है।
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
Rahat Indori Love Shayari
उसकी याद आई हैं साँसों ज़रा धीरे चलो
धड़कनो से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
Rahat Indori
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
Rahat Indori
मुझसे पहले वो किसी और की थी, मगर कुछ शायराना चाहिये था,
चलो माना ये छोटी बात है, पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिये था|
फूंक डालुंगा मैं किसी रोज दिल की दुनिया
ये तेरा खत तो नहीं है जो जला ना सकूं
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